
संवाददाता दैनिक किरनः प्रयागराज, 30 जुलाई 2025 प्रयागराज की धरती पर एक ऐतिहासिक और भव्य “किसान हुंकार महापंचायत” का आयोजन हुआ, जिसमें जिले एवं प्रदेश से हजारों की संख्या में किसानों और कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। इस महापंचायत के मुख्य अतिथि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री राकेश टिकैत रहे, जिनका आगमन कार्यक्रम स्थल पर जोरदार स्वागत के साथ हुआ।
कार्यक्रम में प्रदेश के विभिन्न जिलों से किसान यूनियन के पदाधिकारी, प्रतिनिधि और कार्यकर्ता बड़ी संख्या में एकत्र हुए। इस महापंचायत का नेतृत्व प्रयागराज के युवा जिला अध्यक्ष श्री रमीज नक़वी ने किया, जिनके कुशल संचालन में सभा शांतिपूर्ण और संगठित रूप से संपन्न हुई।
राकेश टिकैत का किसानों के नाम सशक्त संदेश
अपने ओजस्वी संबोधन में श्री राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा,
“किसान भारत का भाग्य विधाता है। यदि प्रदेश सरकार किसानों का उत्पीड़न बंद नहीं करती, तो उसे हमारे विरोध का सामना करना पड़ेगा।”
उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसान रोपाई के लिए पानी और बिजली की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। इसके अलावा सरकार द्वारा किसानों पर लगाए जा रहे झूठे मुकदमों का भी उन्होंने कड़ा विरोध किया और इसे लोकतंत्र के मूल्यों के खिलाफ बताया।
किसानों की प्रमुख समस्याएं रहीं केंद्र में– इस महापंचायत में किसानों ने निम्नलिखित समस्याओं को लेकर आवाज़ बुलंद की:
सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी की अनुपलब्धता
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति में अनियमितता और कटौती
किसानों पर झूठे मुकदमों का बढ़ता दबाव
किसानों की फसलों के लिए उचित समर्थन मूल्य की मांग
सभा के अंत में किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर तत्काल अमल नहीं किया गया, तो आगामी समय में पूरे प्रदेश में व्यापक आंदोलन किया जाएगा।
रमीज नकवी की भूमिका सराहनीय
युवा नेता श्री रमीज नकवी की नेतृत्व क्षमता की पूरे जिले में सराहना हो रही है। उन्होंने न सिर्फ कार्यकर्ताओं को एकजुट किया, बल्कि शांतिपूर्ण और प्रभावी आयोजन को संभव बनाकर युवा नेतृत्व का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।

प्रयागराज की यह हुंकार महापंचायत किसानों की एकता, संगठन शक्ति और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रतिबद्धता का प्रतीक बनकर उभरी। राकेश टिकैत के नेतृत्व और स्पष्ट संदेश से यह स्पष्ट हो गया है कि यदि किसानों की समस्याओं को अनसुना किया गया, तो देश भर में एक बार फिर किसान आंदोलन की ज्वाला धधक सकती है।


