चवन्नी के पास एके-47 कहां से आया? मऊ, शहाबुद्दीन, मुख्तार से लेकर पाकिस्तान कनेक्शन-

संवाददाता दैनिक किरन जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर में मंगलवार की अहले सुबह कुख्यात अपराधी सुमित सिंह मोनू उर्फ चवन्नी का एनकाउंटर हो गया। करीब 20 मिनट तक चले एनकाउंटर के बाद यूपी और बिहार में कॉन्ट्रैक्ट किलर के रूप में अपनी पहचान बना चुके चवन्नी का अंत हो गया। चवन्नी के एनकाउंटर की चर्चा यूपी से बिहार तक हो रही है। मऊ से निकल कर यूपी-बिहार की अपराधिक दुनिया में सुमित सिंह ने चवन्नी के नाम बनाया। चवन्नी के एनकाउंटर के बाद उसके पास से एके-47 बरामद किया गया है। कभी जौनपुर में सबसे पहले एक हत्याकांड में एके-47 चलने का मामला सामने आया है। चवन्नी मऊ का रहने वाला था। यहां पर मुख्तार अंसारी का दबदबा था। माफिया मुख्तार अंसारी के प्रभाव में आने के बाद चवन्नी आगे बढ़ता गया। मुख्तार के जरिए चवन्नी बिहार के माफिया शहाबुद्दीन के संपर्क में आया। शहाबुद्दीन और मुख्तार का पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से संबंध बताया जाता रहा है। चवन्नी के पास भी इसी के जरिए एके-47 मिलने की बात कही जा रही है।

मऊ से निकला था सुमित

सुमित सिंह मोनू उर्फ चवन्नी मूल रूप से मऊ का रहने वाला था। अभी वह बिहार की आपराधिक दुनिया में घटनाओं को अंजाम दे रहा था। वह शहाबुद्दीन गिरोह से जुड़ा हुआ था। जौनपुर और मऊ में भी उसने कई आपराधिक वारदातों को अंजाम दिया था। कुख्यात चवन्नी के खिलाफ पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित किया गया था। यूपी एसटीएफ के डीएसपी धर्मेश शाही की टीम से इन बदमाशों की मुठभेड़ हुई। इसमें मोनू के दो साथी बचकर भागने में सफल रहे। चवन्नी इस मुठभेड़ में ढेर हो गया।

बलिया कारोबारी हत्याकांड में आया था नाम

बलिया के कारोबारी हत्याकांड में चवन्नी का नाम आया था। 2014 में ही उसने इस घटना को अंजाम दिया था। बलिया में उसने कारोबारी और उसके बेटे की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद से वह पुलिस के रेडार पर था। बिहार में वह 23 नवंबर 2014 को भाजपा सांसद प्रतिनिधि और जूलर श्रीकांत भारती की हत्या में उसका नाम सामने आया था। इन हत्याकांडों के जरिए चवन्नी ने अपराध की दुनिया में अपने नाम को बड़ा बनाता रहा। खुद को वह सुपारी किलर के रूप में स्थापित करने में कामयाब हुआ था।

तस्करी से पहुंचता है हथियार

रसियन क्लाशिनिकोव राइफल का इस्तेमाल भारतीय सेना और पुलिस करती है। ड्रम मैगजीन का यूज अपने देश में नहीं होती है। ऐसे में आपराधिक गिरोह के पास तस्करी के जरिए राइफल पहुंचती है। एके-47 की तस्करी रूस से कजाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान तक होती है। यहां से नेपाल होते हुए ये राइफलें भारत आती हैं। नक्सलियों को भी चीन से आने वाले हथियारों की खेप नेपाल के रास्ते ही मिलती है। इसके अलावा बांग्लादेश के रास्ते भी एके-47 की तस्करी होती है। वहीं, पंजाब में पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी खूब होती है। ड्रग्स की खेप के साथ हथियार भी पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंचती हैं। इसके अलावा बिहार के मुंगेर और यूपी के आजमगढ़ में भी एके-47 राइफल और कारतूस तैयार किए जाने की रिपोर्ट है।

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